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रामदेव ने 67 अख़बारों में छपवाया माफ़ीनामा, सुप्रीम कोर्ट ने पूछा-साइज़ क्या है?

 23 Apr 2024

सुप्रीम कोर्ट ने आज भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुनवाई करते हुए बाबा रामदेव से पूछा कि जो माफ़ी उन्होंने अख़बार में छपवाया उसका साइज़  उनके विज्ञापनों की तरह बड़ा  था या नहीं? दरअसल, बाबा रामदेव की ओर से कहा गया था कि भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि की ओर से 67 अखबारों में माफ़ी छपवाई गयी है। कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों को लेकर फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) से जुड़ी अन्य कंपनियों पर भी सवाल खड़े करत हुए केंद्र से जवाब लब किया। वहीं अदालत ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को भी फटकार लगायी कि कई एलोपैथी डॉक्टर भी महंगी और ग़ैर-जरुरी दवाओं का प्रचार कर रहे हैं जिस पर वह चुप है।। कोर्ट में भ्रामक विज्ञापनों पर  मामले की सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ कर रही है।



एफएमसीजी के दावों पर भी जाँच हो


सुप्रीम कोर्ट ने फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) से जुड़ी ऐसी कंपनियों के दावों पर भी जाँच करने के लिए कहा है जो स्वास्थ्य से जुड़े बड़े-बड़े दावें करते हैं। एफएमसीजी ऐसी कंपनियां होती है जो खाने-पीने की चीजें, सौंदर्य प्रसाधन और अन्य घरेलू सामान तरह-तरह के दावों के साथ बेचती हैं। कोर्ट ने एफएमसीजी से जुड़े मामलों में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय को पक्षकार बनाया है। इसके अलावा कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के लाइसेंसिंग अधिकारियों को भी मामले में पक्षकार बनने के लिए कहा है।



इंडियन मेडिकल एसोसिएशन पर भी उठाये सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के काम  करने के तरीकों को लेकर सवाल खड़े किये। कोर्ट ने कहा कि आईएमए के काम को लेकर भी कई शिक़ायतें आयी है। डॉक्टर उन दवाओं को लिखते है जो अस्पताल में उपलब्ध न हों,  महंगी हों या आवश्यक न हो। कोर्ट ने कहा कि आईएमए के डॉक्टर भी सिर्फ़ एलोपैथी का समर्थन करते हुए पाये गए हैं, इससे आप पर भी सवाल उठना तय है।



केंद्र हलफ़नामा दाख़िल करे

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सवाल-जवाब करते हुए पिछले तीन सालों में भ्रामक विज्ञापनों पर की गयी कार्रवाइयों की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने अन्य कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों को लेकर भी अपनी चिंता ज़ाहिर की है। कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में भ्रामक विज्ञापन को लेकर केंद्र से नज़र रखने और कार्रवाई करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा कि अभी भी बहुत कंपनियां ऐसी है जिन्होंने अपना भ्रामक विज्ञापन नहीं रोका है जिसका असर आम लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है।




कोर्ट की फटकार के बाद रामदेव ने मांगी थी माफ़ी


सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल की सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और बालकृष्ण को एक हफ़्ते का समय देते हुए सार्वजानिक तौर पर माफ़ी मांगने के लिए कहा था। सुनवाई के दौरान बाबा रामदेव और बालकृष्ण कोर्ट में मौज़ूद थे जहाँ उन्होंने बिना शर्त भ्रामक विज्ञापन के मामले में कोर्ट से माफ़ी भी मांगी थी।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण को फटकार लगायी थी। जिसके बाद कोर्ट के सामने बाबा रामदेव ने भ्रामक विज्ञापन को लेकर अपनी गलती मानी थी। जिसके बाद कोर्ट ने माफ़ी का संज्ञान तो लिया लेकिन कोर्ट का कहना था कि बाबा रामदेव सिर्फ़ दिखावे के लिए माफ़ी माँग रहे हैं। कोर्ट को नहीं लगता कि बाबा रामदेव ने जो किया है उसका उन्हें एहसास भी है।


कोर्ट ने बालकृष्ण को कहा था, ‘आप अच्छा काम कर रहे है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की आप एलोपैथी को अपनी उपचार पद्धति से नीचा दिखाये।’ बाबा रामदेव ने कोर्ट से कहा था कि उनका अदालत की अवमानना करने का कोई इरादा नहीं था। सुप्रीम कोर्ट यह पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह भ्रामक विज्ञापन मामले में बाबा रामदेव और बालकृष्ण को इतनी आसानी से रियायत नहीं देने वाले नहीं है।